मुरैना
हमेशा सुर्खियों में रहने वाला मप्र के मुरैना जिला अभी एक चिट्ठी को लेकर सुर्खियों में है यह चिट्ठी बिजली कंपनी (MPEB) के उप महाप्रबंधक (डीजीएम) केके आर्य ने मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) को लिखी है। राजसब वसूली से दुखी होकर लिखे पत्र में डीजीएम ने लिखा है कि हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा वैध व अवैध हथियार अंबाह-पाेरसा में हैं। माफिया ने यहां एक आईपीएस अधिकारी तक को मार डाला। ऐसे में यहैं पर कम संसाधनों के साथ 5 महीने बाद रिटायर होने जा रहे 62 साल के अधिकारी से यह उम्मीद कैसे करते हो कि 10 करोड़ की रिकवरी का लक्ष्य पूरा कर दिया जाए।
अंबाह डिवीजन के उप महाप्रबंधक केके आर्य ने शनिवार को सीजीएम द्वारा जारी नोटिस के जवाब में कुछ इसीतरह के मजमून भरा पत्र सीजीएम को लिखा। आगे लिखा कि जुलाई में मुरैना सर्किल की कुल वसूली साढ़े 10 करोड़ रुपए हुई है। इस हाल में अंबाह डिवीजन से यह उम्मीद क्यों की जा रही है कि एक महीने में 10 करोड़ रुपए का राजस्व वसूल कर दिया जाये।
गिनाई समस्याएं
डीजीएम ने पत्र में बिजली विभाग के वितरणकेंद्रों की खामियों को गिनाते हुए लिखा कि दिमनी, थरा, खड़ियाहार, केंद्र पर तो कर्मचारियों को काम करने के लिए वाहन तक उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में लाइनमैन फॉल्ट ठीक करने क्षेत्र में कैसे जाएगा। दिमनी, थरा व रछेड़ वितरण केंद्र पर कनिष्ठ यंत्री व पोरसा में सहायक यंत्री पदस्थ नहीं हैं। काम करने की सुविधा न देने के बाद कंपनी राजस्व वसूली में गुना, शिवपुरी व ग्वालियर की तुलना अंबाह डिवीजन से कैसे करती है।
कम आयु के जेई जुगाड़ से ट्रांसफर करा लें जाते हैं जिन अधिकारियों के रिटायरमेंट में 5 महीने बकाया हैं, जिननकी आयु 62 साल है ऐसे डीई को अंबाह पदस्थ कर दिया जाता है। कोरोना काल में उनकी आयु के लोग क्षेत्र भ्रमण कैसे कर पाएंगे और ऐसा कर पाना कितना सुरक्षित होगा।नोटिस में यह तो लिखा गया है कि आपने वसूली के सार्थक प्रयास नहीं किए… लेकिन यह क्यों नहीं लिखा कि कंपनी ने काम करने के लिए कितने कर्मचारी व संसाधन उपलब्ध कराए हैं।